बच्चों के लिए खतरनाक है डायरिया

बच्चों के लिए खतरनाक है डायरिया

डायरिया या अत्‍यधिक दस्‍त की बीमारी किसी भी उम्र के व्‍यक्ति को शारीरिक रूप से इतना कमजोर कर देती है कि खड़े होने में भी चक्‍कर आने लगते हैं। मगर यह बीमारी बच्‍चों के लिए खतरनाक हो सकती है। दिल्ली के फोर्टिस-सी डॉक अस्पताल के निदेशक एवं देश के जाने-माने मधुमेह एवं मेटाबोलिक रोग विशेषज्ञ तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व प्रोफेसर डॉक्‍टर अनूप मिश्रा कहते हैं कि दिन में तीर बार से अधिक पतला दस्त हो तो उसे डायरिया की श्रेणी में रख सकते हैं। पतले दस्‍त के कारण इसके कारण शरीर में डिहाइड्रेशन या पानी की कमी हो जाती है। गर्मियों की शुरुआत में होने वाली यह आम बीमारी है।

डॉक्‍टर मिश्रा के अनुसार आमतोर पर यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है मगर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इसका ज्यादा शिकार बनते हैं। डायरिया के आमतौर पर दो प्रकार होते हैं। एक्यूट डायरिया एक से दो दिन में अपने आप बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाता है जबकि 5 दिन से अधिक रहने वाले डायरिया को गंभीर या क्रॉनिक की श्रेणी में रखते हैं।

एक्यूट डायरिया की वजह से लोगों को ज्यादा परेशानी नहीं होती है। मगर इसके कारण होने वाली पानी की कमी बच्चों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। इसलिए पानी की कमी को दूर करना बेहद जरूरी होता है। एक्यूट डायरिया आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस या किसी परजीवी के संक्रमण से होता है। यह संक्रमण कटे फलों, दूषित भोजन, गंदे पानी, खुले में बिकने वाले जूस या और किसी गंदगी के कारण हो सकता है। यह बैक्टीरिया या परजीवी भोजन और पानी के द्वारा शरीर में पहुंचते हैं और शरीर के पाचन तंत्र को प्रभावित कर देते हैं। इसके अलावा कई तरह की दवाइयों की प्रतिक्रिया में भी डायरिया हो सकता है। खासकर तेज एंटीबायोटिक, ब्लड प्रेशर की दवाइयां और कैंसर की कुछ दवाइयां इस श्रेणी में आती हैं।

जैसा कि पहले कहा गया है डायरिया अपने आप में कोई चिंताजनक स्थिति नहीं है बल्कि इसके कारण होने वाले डिहाइड्रेशन ज्यादा चिंताजनक स्थिति होती है। छोटे बच्चों के मामले में तो तत्काल अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि उनके शरीर से ज्यादा पानी निकलना कई बार जानलेवा भी हो सकता है।

इस बीमारी के बारे में दिल्‍ली के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्‍टर ए.के. अरुण कहते हैं कि गर्मी की शुरुआत में उल्टी एवं दस्त जैसे लक्षण आमतौर पर देखे जाते हैं। इनमें सबसे बडी भूमिका होती है संक्रमित और कटे हुए फलों, दूषित भोजन और पानी की। खासकर यह देखा गया है कि लोग घरों में भी फल काटकर फ्रिज में रख लेते हैं और बाद में उसका सेवन करते हैं। लोगों को यह गलतफहमी होती है कि फ्रिज में रखा भोजन या फल खराब नहीं होगा। मगर हकीकत यह है कि डयरिया का एक बैक्टीरिया फ्रिज में रखे भोजन या फल को भी संक्रमित कर देता है।

यदि किसी व्यक्ति को दो से तीन बार पतले दस्त हों तो सबसे पहले यह जांच करनी चाहिए कि उसके शरीर में पानी की कमी तो नहीं हो गई है। पानी की कमी होने पर घर में ही ओआरएस या फिर नमक चीनी और नीबू का घोल बनाकर दिन में कई बार मरीज को पिलाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मरीज अधिकतर समय लेटा रहे। ज्यादा चलने फिरने से बीमारी को ठीक होने में समय लग सकता है। जहां तक इलाज का सवाल है तो होम्योपैथी में इसका प्रभावी इलाज उपलब्ध है। वस्तुतः कैम्फर नामक दवाई को इस बीमारी में जीवन रक्षक दवाई माना जाता है। उल्टी दस्त ज्यादा होने पर इसकी दो से तीन खुराक में ही चमत्कारिक असर होता हैं। इसके अलावा भी वेरेट्रम अल्बम 30, क्यूप्रम मेटेलिकम 30, आर्सेनिकम अल्बम 30 जैसी कई दवाइयां बेहतर असर करती हैं।

महर्षि आयुर्वेद के वरिष्ठ वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी के अनुसार आयुर्वेद में डायरिया को अतिसार कहा गया है। यह ऐसी बीमारी है जिसमें बार-बार दस्त लगते हैं और पाचन बिलकुल नहीं हो पाता है। इसके कारण भोजन जिस रूप में ग्रहण किया जाता है उसी रूप में दस्त के साथ बाहर आ जाता है। डायरिया के आम लक्षणों में पेट दर्द, पेट में सूजन, बार-बार दस्त, ठंड लगना और बुखार आना शामिल है। यह बीमारी गर्मियां शुरू होने के बाद जड़ पकडती हैं क्योंकि इस मौसम में कटे फलों, सडक किनारे के जूस, रेहडी पर बिने वाली पानी का इस्तेमाल लोग ज्यादा करने लगते हैं। गर्मी के कारण खाना जल्दी खराब होता है मगर लोग उसी को खा लेते हैं। इन सब कारणों से शरीर का पाचन तंत्र खराब हो जाता है। इससे बचने के लिए सबसे पहले तो यह करें कि बासी खाना बिलकुल न खाएं। साथ ही कटे फलों, सड़क किनारे के जूस और दूषित पानी पीने से भी यथासंभव बचना चाहिए। खिचडी, गर्म सूप या गर्म पेय पदार्थों का सेवन लाभदायक होता है। जहां तक पेट में हुए संक्रमण को दूर करने का सवाल है तो इसके लिए बड़ी इलायची, दालचीनी और लौंग को उबालकर उसका पानी मरीज को देने से संक्रमण ठीक हो जाता है।

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